Apple ने इस साल अपने iPhone 16e में अपनी पहली स्वदेशी C1 बेसबैंड चिप डालकर सोचा था कि अब Qualcomm को रिटायर कर देंगे। कई सालों की रिसर्च और दिमागी मशक्कत के बाद बनी ये चिप, कंपनी के लिए गेम चेंजर मानी जा रही थी। लेकिन जैसे ही असली टेस्ट हुए, इस चिप की हवा निकल गई। Qualcomm को टक्कर देने चली थी, लेकिन मैदान में आते ही घुटनों पर आ गई।
Cellular Insights जैसी प्रोफेशनल एजेंसी ने जब iPhone 16e और Qualcomm X75/X80 मॉडेम वाले Android फोन्स को आमने-सामने टेस्ट किया, तो Apple की C1 चिप ने ऐसा प्रदर्शन किया कि रिपोर्ट पढ़ते ही टीम क्यूपर्टिनो की हंसी छूट गई होगी — शर्म से। अपलोड स्पीड में Android 50% तेज़ निकला, डाउनलोड में 30% आगे रहा और जब बात आई नेटवर्क की स्टेबिलिटी की, तो iPhone 16e तो जैसे सिग्नल के नाम पर रोना शुरू कर चुका था।
इतना ही नहीं, PHY लेयर परफॉर्मेंस में भी C1 चिप Android के मुकाबले सिर्फ 60% तक ही पहुंच पाई। यानी Apple ने जो चिप सालों में बनाई, उसने Qualcomm से सिर्फ हार नहीं मानी, बल्कि बुरी तरह मात खाई। ऐसे में Qualcomm ने एकदम तंज कसते हुए बोला कि भाई, ये तो अब तक का सबसे वैज्ञानिक और निष्पक्ष नेटवर्क टेस्ट था – यानी बोलचाल की भाषा में, “तेरी बैंड बजा दी और सबूत के साथ बजाई।”
Apple अब ये कह रहा है कि अभी तो ये पहली चिप थी, आगे C2, C3, C4 लाएंगे और Qualcomm को बाहर करेंगे। लेकिन सच तो ये है कि फिलहाल तो C1 खुद हॉस्पिटल में भर्ती है। Qualcomm को हटाने का सपना देखते-देखते Apple को खुद अपनी औकात याद आ गई। टेक की दुनिया में मेहनत चलती है, लेकिन बेसबैंड चिप्स में अनुभव का कोई तोड़ नहीं – और Apple का ये अनुभव अभी कच्चा निकला।
साफ है, Qualcomm अभी भी नेटवर्क की दुनिया में बादशाह है, और Apple को वहाँ पहुंचने में अभी काफी कुछ सीखना पड़ेगा। पहला कदम भले ही गिरते हुए पड़ा हो, लेकिन आने वाले वक्त में अगर Apple ने सही से मेहनत की, तो हो सकता है तस्वीर बदले। लेकिन फिलहाल तो Qualcomm हंसते हुए यही कह रहा है – “बेटा, अभी नहीं।”
ध्यान दें: ये सिर्फ मनोरंजन के लिए है बुरा लगे तो माफ़ करना लेकिन सच बात यही है कि Apple अभी Qualcomm से बहुत पीछे है Qualcomm अभी भी नेटवर्क की दुनिया में बादशाह है।
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