Income Tax Raids in India: भारत में इनकम टैक्स छापों की कहानी आज की तकनीकी और डिजिटल व्यवस्था से कहीं पहले शुरू हो चुकी थी। इसकी पहली बड़ी मिसाल 16 जुलाई 1981 को देखने को मिली, जब कानपुर में उद्योगपति और पूर्व सांसद सरदार इंदर सिंह के ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा। यह कार्रवाई उस दौर की सबसे बड़ी और चर्चित छापेमारी मानी गई, जिसमें 90 से अधिक इनकम टैक्स अधिकारी और करीब 200 पुलिसकर्मी शामिल थे।
यह छापा शहर के प्रमुख इलाकों—तिलक नगर, लाजपत नगर, आर्य नगर, फज़लगंज और पनकी की फैक्ट्रियों तक फैला था, जो सिंह इंजीनियरिंग वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत आती थीं। यह ऑपरेशन तीन रात और दो दिन तक चला और इसमें ₹92 लाख नकद बरामद हुए, जो उस वक्त की सबसे बड़ी कैश जब्ती थी। ₹30 लाख के सोने की गिनती करने में अधिकारियों को 18 घंटे से अधिक का समय लगा, और इसके अलावा दिल्ली में स्थित अघोषित संपत्तियों से ₹1.3 करोड़ की ब्लैक मनी और कई फिक्स्ड डिपॉजिट दस्तावेज़ भी ज़ब्त किए गए। इस रेड ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी, बल्कि भविष्य की टैक्स रेड्स के लिए एक दिशा भी तय कर दी।
Kanpur Raid of 2021: इत्र कारोबारी पियूष जैन का मामला
वर्षों बाद, 2021 में एक और बड़ी घटना ने कानपुर को फिर सुर्खियों में ला दिया। इस बार निशाने पर थे इत्र कारोबारी पियूष जैन। सादगी से जीवन जीने वाले इस व्यापारी के किदवई नगर स्थित घर से इनकम टैक्स विभाग ने जब छापा मारा तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। अधिकारियों को यहां से ₹250 करोड़ से ज्यादा नकद मिले। यह राशि इतनी बड़ी थी कि उसकी गिनती के लिए विशेष मशीनें मंगवाई गईं और उसे ट्रकों में भरकर ले जाना पड़ा। यह ऑपरेशन 120 घंटे से भी अधिक समय तक चला और पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया।
Biggest Seizure of 2023: सांसद धीरज साहू पर रेड
इसके बाद दिसंबर 2023 में झारखंड और ओडिशा में राज्यसभा सांसद धीरज साहू के ठिकानों पर जब रेड पड़ी, तो भारत के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी नकद जब्ती दर्ज की गई। इस रेड में ₹351 करोड़ कैश और 3 किलो सोना ज़ब्त किया गया। इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि टैक्स चोरी किस हद तक फैल चुकी है और सरकार को निगरानी और जवाबदेही को और सख्त करने की ज़रूरत है।
Sahara Group Raid: सुब्रत रॉय तक पहुंचा मामला
बड़े कारोबारी समूह भी इस घेरे से अछूते नहीं रहे। सहारा ग्रुप के दिल्ली और नोएडा स्थित कार्यालयों में की गई रेड में ₹135 करोड़ कैश और ₹1 करोड़ की ज्वेलरी मिली थी। यह कार्रवाई इतनी गंभीर थी कि ग्रुप प्रमुख सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी तक की नौबत आ गई थी।
नोटबंदी के बाद की हैरान कर देने वाली रेड
वहीं 2016 में, जब पूरा देश नोटबंदी के प्रभाव से जूझ रहा था, उस समय बेंगलुरु में दो इंजीनियरों और दो सरकारी कॉन्ट्रैक्टर्स के घर पर रेड डाली गई। वहां से ₹5.7 करोड़ की नकदी बरामद हुई, जिनमें से ₹4.8 करोड़ हाल ही में जारी किए गए ₹2000 के नोटों में थे। इसके अलावा 7 किलो सोना, 9 किलो आभूषण और कई लग्जरी गाड़ियां भी ज़ब्त की गईं। इसने यह सवाल खड़ा किया कि जब आम जनता बैंकों की लाइन में खड़ी थी, तो इतनी ताज़ा करेंसी इन लोगों तक कैसे पहुंची?
Conclusion: टैक्स चोरी पर लगाम लगाना क्यों ज़रूरी है?
इन सभी घटनाओं ने एक बात को बेहद स्पष्ट कर दिया है—भारत में टैक्स चोरी कोई मामूली समस्या नहीं है, बल्कि यह एक संगठित और गहरी जड़ें जमा चुकी प्रणाली बन चुकी है। इसे रोकने के लिए सख्त निगरानी, पारदर्शिता और राजनीतिक इच्छाशक्ति की सख्त ज़रूरत है।